हमारा विचार
शिक्षा तो वह है जिसके साथ मनुष्य उत्तरोत्तर अपनी उन्नति करते हुए जीवन के सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त कर सके। एक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि मनुष्य में सद्गुण हों वे सद्गुण सहसा नहीं आएंगे, उनके लिए प्रयत्न करना होगा इसलिए गुणों के संस्कार जीवन में रखने की आवश्यकता रहती है क्योंकि बाजार में नहीं बिकते संस्कार पांच सितारा होटलों में संस्कार नहीं पिरोसे जाते।
कोई पूँजीपती जन्म दिवस के उपलक्ष्य में अपने बच्चे को संस्कार भेंट नहीं कर सकता संस्कार रोपे जाते हैं अंकुरित होते हैं। उन्हें सींचना पड़ता है, वे खिलते हैं। धनवान होने में और सुसंस्कृत होने में बड़ा अन्तर है। सुसंस्कृत मनुष्य कि एक सुगंध होती है और इस सुगंध का निर्माण करना ही हमारा उद्देश्य है।